यूक्रेन-रूस युद्ध को खत्म कराने के लिए डोनाल्ड ट्रंप और उनका प्रशासन कड़ी मशक्कत कर रहा, पक रही नई खिचड़ी

वाशिंगटन
पिछले तीन साल से चल रहे यूक्रेन-रूस युद्ध को खत्म कराने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनका प्रशासन कड़ी मशक्कत कर रहा है। इसी कड़ी में सऊदी अरब की राजधानी रियाद के रिट्ज-कार्लटन होटल में रूस और अमेरिका के प्रतिनिधियों ने मैराथन बैठक की। रूसी समाचार एजेंसी TASS ने अपने सूत्रों के हवाले से बताया कि दोनों देशों के प्रतिनिधियों के बीच यह बातचीत करीब 12 घंटे से ज्यादा चली। मंगलवार को दोनों देशों द्वारा एक संयुक्त बयान जारी होने की उम्मीद है। इससे पहले रविवार को यूक्रेन के साथ अमेरिका की बातचीत हुई थी। सूत्रों के हवाले से अरब न्यूज की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिकी पक्ष का नेतृत्व व्हाइट हाउस राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के वरिष्ठ निदेशक एंड्रयू पीक और विदेश विभाग के वरिष्ठ अधिकारी माइकल एंटोन कर रहे हैं। उधर, रूस का प्रतिनिधित्व रूसी उच्च सदन की विदेश मामलों की समिति के प्रमुख ग्रिगोरी करासिन और संघीय सुरक्षा सेवा (एफएसबी) के निदेशक के सलाहकार सर्गेई बेसेडा कर रहे हैं।

काला सागर में युद्धविराम पर चर्चा
व्हाइट हाउस ने कहा है कि इस वार्ता का उद्देश्य काला सागर (Black Sea) में समुद्री युद्ध विराम पर पहुंचना है, ताकि इस क्षेत्र में जहाजों का बेरोक-टोक और सुक्षिक मुक्त प्रवाह हो सके। वॉशिंगटन को उम्मीद है कि दोनों देशों के बीच हुई बातचीत एक व्यापक कदम की ओर बढ़ रही है और यह शांति का मार्ग प्रशस्त करेगा। व्हाइट हाउस के एक प्रतिनिधि ने उम्मीद जताई है कि निकट भविष्य में सकारात्मक घोषणा होने की उम्मीद है। रॉयटर्स की एक रिपोर्ट में रूस के एक सूत्र के हवाले से कहा गया है कि दोनों पक्षों के बीच एक संयुक्त बयान के मसौदे पर सहमति बन गई है, जिसे मंजूरी के लिए दोनों राजधानियों को भेजा गया है। हालांकि क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने वार्ता के मसौदे को उम्मीदों से कम करके आंका है। रॉयटर्स के मुताबिक, पेसकोव ने कहा, "यह मुख्य रूप से नेविगेशन की सुरक्षा के बारे में है।"

काला सागर क्यों अहम?
काला सागर यूरोप और एशिया के बीच स्थित है। यह कई देशों और संस्कृतियों को जोड़ता है। इसके साथ ही एक महत्वपूर्ण समुद्री परिवहन मार्ग उपलब्ध कराता है। इतना ही नहीं यह रूस और नाटो के बीच एक रणनीतिक बफर के रूप में कार्य करता है, इसलिए यह एक भू-रणनीतिक क्षेत्र के रूप में भी कार्य करता है। यह अमेरिका, रूस और चीन के बीच भू-रणनीतिक प्रतिस्पर्धा के लिए एक सक्रिय स्थल बना हुआ है। दरअसल, रूस-यूक्रेन युद्ध छिड़ने के बाद यह इलाका अशांत हो गया था। इससे व्यापारिक जहाजों का आना-जाना मुश्किल हो रहा था। हालांकि, हाल के महीनों में समुद्री मोर्चे पर शांति रही है। यूक्रेन ने 2023 में रूसी नौसेना को पीछे धकेलने के बाद अपने शिपिंग लेन पर कुछ नियंत्रण हासिल कर लिया है। बहरहाल, व्हाइट हाउस इस मुद्दे को दोनों पक्षों के बीच विश्वास-निर्माण के लिए एक संभावित शुरुआती बिंदु के रूप में देख रहा है।

क्या था समझौता और क्यों टूटा?
बता दें कि तुर्की और संयुक्त राष्ट्र ने 2022 में ब्लैक सी ग्रेन इनिशिएटिव समझौते में मध्यस्थता करने में मदद की थी, जो जुलाई 2022 में हुआ था। इस समझौते की वजह से यूक्रेन-रूस युद्ध के बावजूद काला सागर केे पार लगभग 33 मिलियन मीट्रिक टन यूक्रेनी अनाज का सुरक्षित निर्यात हो सका था। बाद में रूस ने 2023 में इस समझौते से खुद को अलग कर लिया था और शिकायत की कि उसके अपने खाद्य और उर्वरक निर्यात में गंभीर बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि, मौजूदा समय में रूस को काला सागर के रास्ते अपने अनाज को बाज़ार तक पहुँचाने में कोई गंभीर समस्या नहीं आ रही है। अमेरिका चाहता है कि काला सागर में युद्ध विराम लागू कर सबसे पहले दोनों देशों (यूक्रेन और रूस) के बीच विश्वास बहाली की जाए। इसके बाद धीरे-धीरे पूर्ण युद्धविराम की तरफ बढ़ा जाए।

India Edge News Desk

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